लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी।
कैसी हो। बात 18 अप्रैल 2022 की है ।जब मुझे साहित्यिक मंच से एक इनाम मिला था।
मुझे याद है कुरियर वाला हमे हमारा ईनाम देकर गया था। हमारे छोटे सपूत दौड़ कर गये और कुरियर वाले से ईनाम लेकर सब को दिखाया कि हमारी ममा ने ईनाम जीता है ।सच मे सखी बड़ी खुशी हो रही थी ।अभी तक तो बच्चों की और पतिदेव की सफलताओं पर ही खुश होते आये पर अब थोड़ा अपने लिए भी खुश होना चाहती हूं।ऐसा नही कि जीवन मे कभी सफलता देखी ही नही जब शादी नही हुई थी तो कालेज मे बहुत से ईनाम जीते है ।आज तुम्हें मै मेरी शादी के बाद का पहला ईनाम जीतने का किस्सा सुनाती हूं मेरी शादी को दस दिन हुए थे पतिदेव एक क्लब के मेम्बर थे सो हमारी नयी नयी शादी हुई तो तीज के प्रोग्राम मे हमे बुलाया गया ।मै नयी थी तो वहां पर क्लब के बहुत सारे मेम्बर्स और उनकी पत्नियां थी वहां सबने मुझे कुछ सुनाने को कहा मेरा गला थोड़ा ठीक ठाक है तो मैंने एक देशभक्ति गीत सुना दिया । हड़बड़ी मे मुझे जो याद था वो ही सुना दिया।और भगवान की कृपा से हम पहले स्थान पर भी आ गये।जब ईनाम की घोषणा की गयी तो माईक पर खड़ा शख्स बोला,"पहला ईनाम मिसेज गर्ग को जाता है ।"मै कुरसी पर बैठकर दाये बाये देखूं की मिसेज गर्ग कौन सी है अभी तक तो मुझे मोनिका ही कहकर बुलाते थे मायके मे।फिर मेरे साथ बैठी एक लेडी बोली ,"मोनिका जी आप को ही बुला रहे है ।" सच मे मुझे इतनी झेंप लगी और अपने पर हंसी भी आयी कि मै ये कैसे भूल गयी कि मै भी तो मिसेज गर्ग हूं।बाद मे अकेले मे मैं इतना हंसी कि पूछो मत। हहा अब चलूं । अलविदा
Peehu saini
06-Dec-2022 05:58 PM
Anupam 🌸👏
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Gunjan Kamal
06-Dec-2022 01:09 PM
शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। बेहतरीन लिखा 👏👌🙏🏻
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Pratikhya Priyadarshini
05-Dec-2022 11:33 PM
Behtreen 💐
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